सोमवार, 27 अप्रैल 2020

मल्टीमीटर क्या है और यह कैसे काम करता है


मल्टीमीटर क्या है ओर यह केेेसे काम करता है

 मल्टीमीटर एक ऐसा उपकरण है जो कई भौतिक राशियों (प्रायः धारा, वोल्टता, प्रतिरोध, निरन्तरता (continuity) आदि को मां मापने में काम आता है। मल्टीमीटर को Volt-Ohm Meter के नाम से भी जाना जाता है और इस डिवाइस का इस्तेमाल वोल्टेज करंट और रेजिस्टेंस मापने के लिए किया जाता है. मल्टीमीटर आपको दो प्रकार के देखने को मिलेंगे एनालॉग और डिजिटल मल्टीमीटर. किसी भी सर्किट में कोई भी कॉन्पोनेंट का करंट वोल्टेज और रजिस्टेंस मापने के लिए यह डिवाइस बहुत फायदेमंद है. और इस छोटी-सी डिवाइस की मदद से हम कहीं पर भी किसी भी सर्किट में वोल्टेज करंट और रेजिस्टेंस का पता लगा सकते हैं.

अगर आप इलेक्ट्रॉनिक से संबंधित सर्किट बनाना चाहते हैं तो आपको मल्टीमीटर का इस्तेमाल करना आना चाहिए तभी आप किसी सर्किट के बारे में किसी भी कॉन्पोनेंट के बारे में उसकी वैल्यू का पता कर सकते हैं.पहले  एनालॉग(analogue)मल्टीमीटर प्रचलन में आये किन्तु एलेक्ट्रानिक्स के विकास के साथ आजकल डिजिटल मल्टीमीटर (digital) (डी एम एम) भी खूब प्रचलन में आ गये हैं। एनालॉग मल्टीमीटर मेंं सबसे बड़ी कमी यह थी कि इसमेंंंंंं एक मूवी पार्ट होता है  जिससे रीडिंग का पता चलता है. लेकिन यह किसी भी कंपोनेंट या वोल्टेज करंट की वैल्यू को एकदम फिक्स नहीं बता सकता था इसीलिए इसकी जगह अब डिजिटल मल्टीमीटर ने ले ली है जिसके अंदर आप को एक डिस्प्ले देखने को मिलेगी और यह आपको बिल्कुल सही वैल्यू बताता है. क्योंकि इसके अंदर आपको वोल्टेज करंट या रजिस्टेंस की वैल्यू दशमलव( point)में भी दिखती है जिससे आपको किसी भी सर्किट के करंट वोल्टेज और रजिस्टेंस का पता बिल्कुल सही लगता है. तथा कार्य में उच्च गुणवत्ता मिलती हैऔर आजकल ऐसे भी मल्टीमीटर आए हैं जिससे कि आप ट्रांजिस्टर की वैल्यू का भी पता लगा सकते हैं.

हालांकि वर्तमान में डिवाइस के उपयोग से स्वय की गलती से कभी कभी डिवाइस को नुकसान हो सकता है. यह डिवाइस बैटरी द्वारा संचालित होता है. 

मल्टीमीटर का प्रारंभिक उपयोग

1820 में ग गैल्वेनोमीटर ,(Galvanometer) नाम की बिजली मापने का यंत्र ,(Current-Detecting )डिवाइस बनाई गई थी. इस डिवाइस में वाटसन बीज (Wheatstone Bridge) के द्वारा रजिस्टेंस और वोल्टेज को मापा जाता था. लेकिन इस डिवाइस का साइज बड़ा और यह बहुत धीरे काम करने वाली डिवाइस थी. जिससे कि वोल्टेज और रजिस्टेंस की वैल्यू का पता ठीक से नहीं लगता था.

गैल्वेनोमीटर

मल्टीमीटर 1920 के दशक के आरम्भ में प्रचलन में आये। यह वह समय था जब समय  रेडियो  एवं   निवात  नलिकाओं (vacuum tube )पर आधारित अन्य युक्तियाँ काफी चलन में आ गयीं थीं। इनके मरम्मत के लिये इनका प्रयोग होने लगा।

मल्टीमीटर बनाने का श्रेय है ब्रिटिश पोस्ट ऑफिस इंजीनियर डोनाल्ड मेकडी (Donald Macadie) को दिया जाता है. डोनाल्ड मेकडी ( Donaid Macadie) ने जिस मीटर का आविष्कार किया था वह वोल्टेज करंट और रेजिस्टेंस माप सकती थी और उसका नाम  ऐवोमीटर (Avometer) रखा गया.

एवोमीटर

सावधानियां safety

# आप वोल्टेज मापते समय ध्यान रखें अगर AC वोल्ट माप रहे हैं तो सिलेक्टर स्विच AC पर ही रहे उसकी अधिकतम वोल्ट पर ही सेट रखें अगर आप DC वोल्ट माप रहे हैं तो भी उसकी अधिकतम वोल्ट DC पर हि सेट रखें। 

# Ac 230 मापने के लीए सलेक्टर स्विच को Ac 230से ज्यादा पर सेट करे जेसे चित्र में दर्शाया गया है

# अगर आपको DC 12 वोल्ट चेक करना है तो आपको DC 12 वोल्ट से अधिक पर सिलेक्टर स्विच को सेट करना होगा जैसा चित्र में दर्शाया गया है

# वोल्टेज चेक करते समय यह खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि सिलेक्टेड स्वीट्स वोल्टेज पर ही सेट हो नहीं तो मल्टीमीटर शॉट हो सकता है दिखाईओर यह आपको  भारी नुकसान भी पहुंचा सकता है


मल्टीमीटर कितने प्रकार के होते हैं 

 मल्टीमीटर क्या है ओर  कितने प्रकार के होते हैं की बात करेंगे. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें मल्टीमीटर सामान्यता दो प्रकार के होते हैं. जिनमें की एनालॉग मल्टीमीटर और डिजिटल मल्टीमीटर आते हैं. इनके अंतर्गत ही अन्य मल्टीमीटर का विकास हुआ है. तो आइए इन दोनों प्रकारों के बारे में जानते हैं.

  • एनालॉग मल्टीमीटर
  • डिजिटल मल्टीमीटर

# एनालॉग मल्टीमीटर क्या है           Analog Multimeter 

एनॉलॉग मल्टीमीटरश

एनालॉग मल्टीमीटर ऐसे उपकरण होते हैं. जिनका उपयोग इलेक्ट्रिकल मात्रा जैसे वोल्टेज, करंट, रेजिस्टेंस, फ्रीक्वेंसी और सिग्नल पावर को मापने के लिए किया जाता है. बुनियादी कार्यक्षमता में वोल्ट में क्षमता का मापन, ओम में प्रतिरोध और एम्प में करंट शामिल हैं. एनालॉग मल्टीमीटर का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल समस्याओं को खोजने के लिए किया जाता है. उन्नत इकाइयां संधारित्र, डायोड और आईसी परीक्षण मोड जैसी अधिक सुविधाओं के साथ आती हैं.

एनालॉग मल्टीमीटर द्वारा किए गए विशिष्ट मापों में डीसी वोल्टेज, एसी वोल्टेज, डीसी करंट, एसी करंट, एसी धाराओं के लिए आवृत्ति रेंज और डेसीबल माप शामिल हैं. वर्तमान को मापने वाले एनालॉग मल्टीमीटर में एक मौजूदा क्लैंप हो सकता है. जो एक जांच के रूप में अंतर्निहित या कॉन्फ़िगर किया गया हो. एक वर्तमान क्लैंप एक सेंसर है जो तार के चारों ओर दब जाता है.

एनालॉग मल्टीमीटर की खोज करते समय यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि जो भी मान मापा जा रहा है. उसके लिए माप सीमा, एक एनालॉग मल्टीमीटर, एक डायल के माध्यम से इन मूल्यों को प्रदर्शित करता है. आमतौर पर एक चलती सूचक या सुई एनालॉग मल्टीमीटर आमतौर पर बेंच टॉप या हैंड हेल्ड होते हैं. बेंच टॉप मॉडल हैंडल और व्हील्स के इस्तेमाल से भी पोर्टेबल हो सकते हैं. हाथ से पकड़े गए मल्टीमीटर को विशेष रूप से डिजाइन करते समय इस्तेमाल किया जाता है यानी, एक हाथ से संचालित किया जा सकता है.

एनालॉग मल्टीमीटर के लिए सामान्य विशेषताओं में बैटरी पावर, अधिभार संरक्षण, तापमान मुआवजा, प्रतिबिंबित पैमाने, रेंज स्विच, डायोड टेस्ट और बैटरी टेस्ट शामिल हैं. पावर में प्लग के बिना बैटरी पावर वाले डिवाइस संचालित किए जा सकते हैं. अधिभार संरक्षण वाले मल्टीमीटर में मीटर की सुरक्षा के लिए फ्यूज या अन्य विधि होती है.

तापमान मुआवजा उपकरणों में प्रोग्रामिंग या इलेक्ट्रिकल उपकरण होते हैं. जिन्हें तापमान में बदलाव के कारण ज्ञात त्रुटियों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. एक स्पष्ट पैमाने पर लंबन त्रुटियों से बचने के लिए ऑपरेटर को सक्षम करके किसी दिए गए सटीकता के लिए उपकरण को पढ़ना आसान बनाता है.

मापी जाने वाली इकाइयों की उचित सीमा का चयन करने के लिए एक रेंज स्विच का उपयोग किया जाता है. डायोड टेस्ट के साथ एक डिवाइस में डायोड ऑपरेशन के परीक्षण के तरीके हैं. बैटरी परीक्षण वाले डिवाइस में बैटरी ऑपरेशन के परीक्षण के तरीके हैं.

# डिजिटल मल्टीमीटर को कैसे काम में लें


एक डिजिटल मल्टीमीटर आज परीक्षण उपकरणों के सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले साधनोमें से एक है. डिजिटल मल्टीमीटर बहुत सस्ते में उपलब्ध हैं और ये डिजिटल मल्टीमीटर इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रिकल सर्किट के भीतर मापदंडों को मापते समय बहुत अधिक सटीकता प्रदान कर सकते हैं. नतीजतन डिजिटल मल्टीमीटर आज उपलब्ध परीक्षण उपकरणों के सबसे अपरिहार्य  साधनों  में से एक है.

मूल रूप से एनालॉग मल्टीमीटर का उपयोग किया गया था. लेकिन ये केवल इन दिनों शायद ही कभी उपयोग किए जाते हैं. क्योंकि डिजिटल तकनीक ने डिजिटल मल्टीमीटर को सस्ता बना दिया है. वर्तमान, वोल्टेज और प्रतिरोध को मापने से परे कई और अधिक क्षमता प्रदान करने में सक्षम है.

डिजिटल मल्टीमीटर एक विद्युत सर्किट के भीतर विभिन्न मापदंडों को माप सकते हैं. बुनियादी डिजिटल मल्टीमीटर एम्प्स, वोल्ट और ओम को माप सकते हैं. जैसा कि पुराने एनालॉग मीटर ने किया था. लेकिन एक एकीकृत सर्किट में आगे की कार्यक्षमता को शामिल करने में आसानी के साथ, कई डिजिटल मल्टीमीटर कई अन्य माप भी करने में सक्षम हैं. उनमें से कई में आवृत्ति, निरंतरता, समाई, तापमान और अक्सर कई अन्य माप जैसे कार्य शामिल हैं.

मल्टीमीटर की मदद से DC वोल्ट कैसे चेक करें

DC वोल्टेज को मापने के लिए आपको मल्टीमीटर के सिलेक्टर स्विच को DC वोल्टेज पर सेट करना होगा। इस मल्टीमीटर की मदद से आप DC 2वोल्ट लेकर DC 600 वोल्ट तक डीसी सप्लाई माप सकते हैं.लेकिन डीसी सप्लाई को मापने से पहले आपको कॉन्पोनेंट की वैल्यू का अंदाजा होना चाहिए. जैसे कि अगर आप घर कि ईनवटर की बैटरी की सप्लाई को मापना चाहते हैं तो आपको मल्टीमीटर में कम से कम DC 20तक Range सेलेक्ट करनी होगी. अगर आपने ज्यादा बड़ी रेंज सिलेक्ट कर दी तो आपको बैटरी की वोल्टेज बिल्कुल सही पता नहीं चलेगी और अगर आपने बिल्कुल कम कर दी तो आपके मल्टीमीटर में फॉल्ट हो सकता है.

मल्टिमिटर से AC वोल्ट केसे चेक करे

मल्टिमीटर में AC वोल्ट चेक करने के लीए सिर्फ दो ही ओपस्न मिलेंगे AC 200 वोल्ट AC 600 वोल्ट . तो अगर आप अपने घरों में आने वाली सप्लाई को मापना चाहते हैं तो इसमें आपको AC 600 वोल्ट सिलेक्ट करना होगा तभी आप अपने घर में आने वाली सप्लाई को माप सकते हैं. क्योंकी घरों में 230वोल्ट आते है सप्लाई की तरह ऐसी सप्लाई को मापने के लिए आपको किसी तरह के टर्मिनल को देखने की जरूरत नहीं होती आप कोई भी टेस्टीलीड किसी भी टर्मिनल के साथ में जोड़ सकते हैं .अगर आपको दो फेस टु फेस भी वोल्ट चेक करना हो तो भी आपको AC 600 वोल्ट पर ही सलेक्टर स्वीच रखना होगा 

कन्टिन्यूटि Continuity

मल्टीमीटर का इस्तेमाल हम किसी भी सर्किट की कंटीन्यूटी चेक करने के लिए भी करते हैं. अगर आपको यह पता करना है कि किसी सर्किट में कोई तार कट तो नहीं गया है. इसके लिए आप मल्टीमीटर को कंटीन्यूटी के ऊपर सेट करें. और जैसे वोल्टेज मापते हैं वैसे ही तार के दोनों सिरों पर टेस्टिगलीड लगाकर आप तार की कंटीन्यूटी को चेक कर सकते हैं.

 रजिस्टर Resistor

मल्टीमीटर से किसी भी रजिस्टर या प्रतिरोधक  की वैल्यू को पता करना बहुत ही आसान है इसके लिए आपको वहां पर रेंज दी गई है . आपको जैसे वोल्टेज मापते हैं. वैसे ही रजिस्टर को मापना है. इसके लिए सबसे पहले आपको मल्टीमीटर को रजिस्टर की रेंज को सेलेक्ट करना है और रजिस्टर के दोनों सिरों पर मल्टीमीटर की टेस्टिगलीड जोड़ देनी है. और मल्टीमीटर पर आपको रजिस्टर की वैल्यू दिखने लग जाएगी.



रविवार, 26 अप्रैल 2020

ceiling fan mein capacitor kaise change Karen

हेलो दोस्तों मैं आपका दोस्त फिर Electrical engineer में आपके लिए कुछ रोचक जानकारीया लेकर हाजीर हूं मुझे विश्वास है कि यह जानकारी यह जानकारियां आपको कम से कम खर्चे में आपको ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं प्रदान करेंगी जिससे आप  अपना  जीवन सरल और सुखमय बना सकते हैं

आज हम सीलिंग फैन की सभी समस्याओं के बारे में आपको बताएंगे आप सिर्फ अपने सीलिंग फैन की समस्या को समझ कर इसमें दिए गए समाधान पर सीधा चले जाएं और उसे निपटाने की कोशिश करें हम कोशिश करते हैं कि आपको पूरा पैराग्राफ ना पढ़ना पड़े और आप सिर्फ अपनी समस्या को ढूंढ कर । आप अपनी समस्या के हिसाब से आपके सीलिंग फैन का समाधान करें

1 मेरा पंखा धीरे धीरे घूम रहा है या धीरे-धीरे घूमता हुआ बंद हो गया है धक्का देने पर घूमने लगता है?

2 मेरा पंखा धीरे धीरे घूमता हुआ बंद हो गया है अब धक्का लगाने पर भी नहीं घूम रहा और मैंने कैपेसिटर बदलकर भी चेक कर लिया है फिर भी वह नहीं घूम रहा?



सभी प्रश्नों के उत्तर

1      आज हम सीलिंग फैन यानी छत पंखे में कैपिटल जीसे कंडेंसर भी कहते हैं बदलेंगे
सीलिंग फैन छत पंखे मे  कैपीसीटर बदलने की जरूरत महसूस होती है जब वह धीरे-धीरे घूमने लगता है या घूमते घूमते बंद हो जाता है धक्का देने पर घूमने लगे तब सीलिंग फैन का कैपेसिटर बदला जाता है 

* छत के पंखे मैं कैपेसिटी चेंज करने के लिए आवश्यक सामान व औजार
१ प्लायर 
२ पेचकस 
३ टेस्टर 
४ पीवीसी टेप
५ कैपिटल   2.5  mfd या 3.25mfd               3.25Mfd capacitor             2.5Mfd fan capacitor

६ छत पंखे तक पहुंचने के लिए स्टूल या मैज

सावधानियां safety

 १ छत के पंखे में कैपेसिटर चेंज करने के लिए हमें घर की लाइट बंद कर देनी है
२ एक वायर के टुकड़े की सहायता से  केपीसीटर को डिस्चार्ज कर लेना है
३ स्टूल या मेज को काम लेते समय ध्यान रखें कि वह स्थीर वह सही स्थिति में रहे जीस से हम नीचे ना गीरे
४ फैन का कैपिटल चेंज करते समय ध्यान में रहे की आंख में कचरा ना गिरे उसके लिए  हम चश्मे का उपयोग करें
५अगर आपके घर में इनवर्टर हो तो उसको भी स्विच ऑफ (बंद) कर दे।

कार्य प्रारंभ करें

अब हम सीलिंग फैन में कैपेसिटर चेंज करने के लिए घर की मेन सप्लाई को ऑफ करेंगे उसके पश्चात हम इनवर्टर को भी स्विच ऑफ कर देंगे जिससे हमें झटका ना लगे उसके बाद हम स्टूल या मेज की सहायता से सीलिंग फैन तक पहुंचेंगे और टेस्टर की सहायता से सीलिंग फैन के ऊपर का कप को पाइप में ऊपर की तरफ खीसका के टाइट कर देंगे
अब हम टेस्टर की सहायता से सीलिंग फैन के स्टैंड में जिस स्टैंड में कैपिटल के दोनों वायर लगे हैं( आपके पास कैमरे का फोन हो तो कैमरे से एक फोटो अवश्य ले ले जिससे कनेक्शन करते समय परेशानी ना हो)
इस सीलिंग फैन में काला वाला कॉमन है और लाल और नीला के साथ ही कैपेसिटर के वायर लगे हुए हैं उसी प्रकार ध्यान रहे कि जिस में से निकाले उसी में ही कैपिसिटर के वायर   लगाएं

 ध्यान रहे आप जिस वायर को जिस स्टैंड के जिस हिस्से से निकाले उसी में ही दोनों वायर लगाएं आप कैपेसिटी का कोई भी वायर किसी मेभी लगा सकते हैं ईससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप सावधानीपूर्वक अब नीचे उतर जाइए
अब आप घर का मेन स्विच ऑन कर दें इनवर्टर का स्विच भी ऑन कर दीजिए और सीलिंग फैन का स्विच ऑन करके चालू करके देखिए अब आपका सीलिंग फैन स्पीड से घूम रहा होगा


2   अगर हमारा सीलिंग फैन यानी छत पंखा धीरे धीरे  घूमता बंद हो गया है और वह धक्का लगाने पर भी नहीं घूम रहा और आपने केपिस्टर चेंज कर के भी देख लिया है तो अब आपको सीलिंग फैन की वाइंडिंग चेक करनी होगी कहीं पंखे की वाइंडिंग ओपन तो नहीं हो गई ( जल तो नहीं गया) है अगर फैन की वाइंडिंग ओपन हो गई होंगी तो आपको सीलिंग फैन की वाइंडिंग को  बाहर मोटर वाइंडिंग वाले से ही करवाना होगा घर पर सिर्फ आप उसे चेक ही कर सकते हैं

आवश्यक सामग्री

१ प्लायर
२ पेचकस
३ 10 11, 12 13, 14 15 की चाबियां वह पाना        ४ टेस्टर 
५ टेस्ट लैंप सीरीज में या मल्टीमीट

सावधानियां safety
१ सीलिंग फैन उतारते समय ध्यान रहे कि घर की सप्लाई बंद हो
२ फैन खोलने के लिए सही चाबी व पाने का ही इस्तेमाल करें नहीं तो चाबी व पाना  स्लिप हो सकता है
३ सीलिंग फैन उतार कर जब हम उसे सीरीज में टेस्ट  करेंगे । उस समय हमें चालू सप्लाई में चेक करना होगा तो करंट का झटका लग सकता है ध्यान रखें इसे बच्चे व अन प्रशिक्षित व्यक्ति ना करें

कार्य प्रारंभ करें
सीलिंग फैन को उतारने के पश्चात हमें सीलिंग फैन की पंखुड़ियां ओर फैन का कैपिस्टर भी अलग कर देना है ।अब सीलीग फेन के अंदर से निकलनेे वाले वायर अलग अलग कर  देना है 
         अधिकतर सीलीगफेन  में से तीन वायर निकल रहे होंगे और कुछ  में से चार वायर निकल रहे होंगे दोनों की वाईडीग टेस्टिंग को अलग अलग बताया गया है चित्र में दर्शाया गया है

#तीन वायर वाली सीलिंग फैन मोटर की वाइंडिंग कैसे चेक करें


*अब हमें बाइंडिंग के तीन टेस्ट करने 
तीन वायर वाला सीलिंग फैन मोटर


  ईस सीलिंग फैन में ब्लैक वाला कोमन वायर है अब  सीरीज टेस्ट लैंप को सप्लाई में जोडे  और उसका एक छोर काले वायर( ब्लैक )में टच करना है और दूसरा छोर लाल वायर (रेड) में करना है अगर टेस्ट  लैंप जल जाता है तो वाइंडिंग सही है अगर लैंप नहीं जलता तो वाइंडिंग ओपन हो चुकी है     

२   अब हमें दूसरी वाइंडिंग चेक करनी है उसके लिए हमें सीरीज टेस्ट लैंप का एक वायर काले वायर( ब्लैक) पर ही रखना है और दूसरा वायर नीले (ब्लू) पर लगाना है उसी तरह चेक करना है अगर लैंप जल  जाए तो मतलब वाइंडिंग सही है अगर लैंप नहीं जलता तो वाइंडिंग ओपन हो चुकी है
अब हमें वाइंडिंग को बॉडी से चेक करना है इसके लिए हमें एक वायर पंखे की बॉडी पर ऐसी जगह जहां जंग वगैरह पेंट वगैरह ना हो ऐसी जगह टच करना है और दूसरा वायर एक एक कर के सभी वायर पर लगाना है अगर इन पर लगाने पर लेम्प जल जाए तो मतलब वाइंडिंग शॉर्ट है और ना जले तो वाइंडिंग आपस में शार्ट नहीं हुई है
अगर हमारा एक भी टेस्ट फेल हो जाता है तो मतलब मोटर जल गई है हमें फैन वाइंडिंग करवाना पड़ेगा

 #    अब हमें चार वायर वाली सीलिंग फैन मोटर की वायरिंग कैसे चेक 

इसमें भी हमें तीन ही टेस्ट करने हैं

इसमें लाल कलर वाली वाइंडिंग स्टार्टिंग वाइंडिंग है और पीले कलर वाली वाइंडिंग रनिंग वाइंडिंग है

सीरीज टेस्ट लैंप को सप्लाई दीजिएऔर स्टार्टिंग वाइन यानी लाल कलर वाली वाइंडिंग चेक कीजिए अगर टेस्ट लैंप जले तो वाइंडिंग सही है अगर लेेेेम्प नहीं जले तो वाइंडिंग ओपन हो चुकी है

२ अब हमें रनिंग वाइंडिंग चेक करनी है इस के लीए हमें सीरीज टेस्टट लैंप के  दोनों वायर ले के रनिंग वाइंडिंग के दोनोंं पीले वायर पर कनेक्टट करना है और सप्लाई दे अगर लेम्प जले तो मतलब वाइंडिंग सही है अगर लैंम्प नहीं जलता तो वाइंडिंग ओपन हो चुकी है

३ अब हमें मोटर का ग्राउंड चेक करना है उसके लिए  सीरीज टेस्ट लैंप का एक वायर उस सीलिंग फैन की बॉडी पर लगाएं और दूसरा  वायर  स्टार्टिंग वाइंडिंग के दोनों हिस्सों पर और फिर रनिंग वाइंडिंग के दोनों हिस्सों पर एक एक करके लगाएं अगर टेस्ट लैंप जलता है तो मतलब वाइंडिंग शॉर्ट हो गई है अगर टेस्टलेम्प नही जलता तो वाइंडिंग सही है वाइंडिंग शॉट नहीं हुई है
अगर हमारे तीनों टेस्ट सही आते हैं तो मतलब वाइंडिंग सही है और तीनो टेस्ट फेल हो जाते हैं तो मतलब वाइंडिंग जल चुकी है सीलिंग फैन में मोटर वाइंडिंग करवानी होगी 







शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

washing machine drain proble वॉशिंग मशीन में पानी निकलने की समस्या

वॉशिंग मशीन में पानी निकल नहीं रहा या धीरे-             धीरे कंटीन्यूअस निकलता रहता है

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::


अगर आप भी मशीन में पानी निकलने की समस्या से जूझ रहे हैं या आपकी मशीन में पानी निकल ही नहीं रहा तो उसके लिए आप इस ब्लॉग में सुझाए गए सुझाव से आपकी वॉशिंग मशीन को ठीक कर सकते हैं और इस लोकडाउन में अपने जीवन को बिना खर्चे के सुखमय बना सकते हैं तथा पत्नी की तरफ से कुछ तारीफें भी बटोर सकते हैं

                           व्यंग
वाशिंग मशीन उस दुखी वैज्ञानिक पति की खोज है जो अपने गंदे कपड़ों को लेकर घर जाने से डरता था तभी वॉशिंग मशीन का आविष्कार हुआ वह कहावत है ना जरूरत हर खोज की जननी है अब चलो कुछ काम की बातें करते हैं

#   वॉशिंग मशीन रिपेयर  में काम आने वाली कूछ चीजें वह औजार
  
* प्लायर्स
* स्टार स्कू ड्राइवर(पेचकश जींस का  मूंह स्टार हो)
* टेस्टर
* नोज पलायर
*केरोसीन या थीरीन(जंग लगे बोल्ट में डालने के लीए)
*टॉयलेट क्लीनर

ध्यान रखें आपको सभी क्रियाकलाप नहीं करने हैं जो आपकी वॉशिंग मशीन में जरूरत हो वही करें ।हमने कई तरह की दिक्कतें का समाधान बताया है पर आपकी मशीन में कोई एक ही दिक्कत होगी सिर्फ उसे ही देख कर उसे ही ठीक करें


सर्वप्रथम
स्टार स्कू ड्राइवर की सहायता से वॉशिंग मशीन के पीछे का ढक्कन खोल दीजीए अधिकतर वॉशिंग मशीन में 6स्कू  होते हैं और कई में 4भी होते हैं ढक्कन छोटा या बड़ा हो सकता है ढक्कन खोलने के पश्चात अंदर ध्यान से देखें कहीं चूहे ने अन्दर कूछ काटा तो नहीं है वॉशिंग मशीन में अधिकतर दिक्कतें चूहे के कूतरने से ही होती हैं वॉशिंग मशीन चूहे के लिए सबसे सुविधाजनक घर होता है 

अब हमें वॉशिंग मशीन में इन चीजों का निरीक्षण करना होगा
 -  ड्रेन वाल्व की नायलॉन रस्सी
-  ड्रेन वाल्व
-  ड्रेन वाल्व  का रबर
-  ड्रेन वाल्व की स्प्रिंग
-  ड्रेन वाल्व में कचरा या सिक्के न हो
-  वॉशिंग मशीन टैंक के आउटगोइंग पाइप मे कचरा        या सिक्के न हो

*ड्रेन वाल्व की नायलॉन रस्सी

वॉशिंग मशीन में पानी की समस्या के लिए सबसे महत्वपूर्ण परेशानी  नायलॉन रस्सी से ही होती है नायलॉन रस्सी टूट जाती है या चूहे द्वारा कुतर ली जाती है नायलॉन रस्सी को चेक करने के लिए  ड्रेन स्विच से वाल्व तक चेक करें अगर रस्सी टूटी हुई हो तो नई रस्सी लाकर डाल दें नई रस्सी डालने के लिए वॉशिंग मशीन के स्विच बोर्ड को खोलना होगा वॉशिंग मशीन में पीछे तीन स्क्रू होंगे और साइड में एक-एक स्कू होगा  स्विच बोर्ड को आगे की तरफ झुका कर बाहर निकाल ले ध्यान रखें कि उसमें वायर कनेक्ट होंगी टूट न जाए ड्रेन स्विच में टूटी हुई नायलॉन रस्सी हटा दें और नई रस्सी डाल दें नायलॉन रस्सी का दूसरा हिस्सा नीचे ड्रेन वाल्व की तरफ उतार दें और ड्रेन वाल्व के हूक में टाइट कर दें और सबसे पहले हमें ड्रेन स्विच को ड्रेन पोजीसन में रखना होगा और रस्सी को अच्छे से टाइट करना होगा स्प्रिंग बिल्कुल टाइट होनी चाहिए नहीं तो वह पानी ड्रेन नहीं होगा अब वॉशिंग मशीन टैंक में दो बाल्टी पानी डालकर देखो मशीन के ड्रेन स्विच को  ड्रेन पोजीशन करने से ड्रेनपाईप से पानी निकल रहा है तो मशीन सही काम कर रही है
अगर आपकी मशीन में नाईलोन रस्सी की प्रॉब्लम नहीं है तो आप नेकस्ट स्टेप फॉलो करें


* ड्रेन वाल्व ,ड्रेन वाल्व  का रबर, ड्रेन वाल्व की स्प्रिंग ड्रेन वाल्व में कचरा या सिक्के न हो सभी एक साथ चेक करनी है
                 चूड़ी वाला ड्रेन वाल्व

ड्रेन वाल्व दो तरह के होते हैं चित्र में दर्शाया होगा एक चूड़ी वाला जिसे हम घुमा कर खोल सकते हैं और
 स्क्रू वाला जिसमें चार स्कू और चार लोक होते हैं ड्रेन वाल्व

दूसरा स्क्रू वाला जिसमें चार स्कू और चार लोक होते हैं जिनमें 1 लोग बड़ा और 3 लोग छोटे होते हैं बड़े लोग को थोड़ा दबा कर खोल सकते हैं ड्रेन वाल्व खुलने के बाद अब हमें ड्रेन रबड़ को ध्यान से देखना होगा ड्रेन ।                           ड्रेन रबड़

रबड़ कहीं से कटा तो नहीं है अगर चूहे ने कुतर दिया होगा तो उसे हमें बदलना होगा अगर ड्रेन वाल्व कहीं से कुतरा हुआ नहीं सही है तो हमें टॉयलेट क्लीनर की मदद से उसे कुछ देर टॉयलेट क्लीनर डालकर साफ करना होगा और अंदर भी ध्यान देकर कि कहीं ड्रेन वाल्व में रुपए सिक्के कचरा वगैरा तो उसे चिमटी या     नोजप्लायर कि साहायता से उसे बाहर निकाले
   ड्रेन वाल्व में रुपए सिक्के कचरा वगैरा कूछ हो     तो नीकाले


और टॉयलेट क्लीनर की मदद से साफ कर देना साफ करने के बाद  हमें रबड़ में लगी स्पिरीग कि भी जांच कर लेनी है कहीं उसमें जंग लगने से वह टूट तो नहीं गया है अगर टूट गई हो तो उसे बदलना होगा स्प्रिंग बाजार से 10 या ₹20 में मिल जाएगी अब    ड्रेन वाल्व
हमें रबड़ में लगी स्पिरीग कि भी जांच कर लेनी है

 ड्रेन वाल्व  का रबर ,ड्रेन वाल्व की स्प्रिंग  चेक करके सही करने के  पश्चात वॉशिंग मशीन के टैंक में दो बाल्टी पानी डालें अगर पानी पाइप से अच्छी तरह से निकल रहा है तो मतलब कचरा साफ हो गया कचरा नहीं है

अगर आपके कि मशीन में ड्रेन वाल्व में कचरा नहीं है और ड्रेनरबर भी सही और स्प्रिंंग भी सही है तो आप नेक्सट स्टेप फोलो करे


वॉशिंग मशीन टैंक के आउटगोइंग पाइप मे कचरा या सिक्के न होपर्ल सेट खोलते समय स्क्रू में स्टार स्क्रुड्राइवर       लगाएं
    वॉशिंग मशीन टैंक का आउटगोइंग पाईप

 हमें वॉशिंग मशीन का पलसेटर खोलना होगा पलसेटर वॉशिंग मशीन में कपड़ों और पानी को घुमाने का कार्य करता है पलसेटर को खोलने  के लिए हमें स्टार स्कूडाईवर की आवश्यकता होगी पलसेटर को खोलने से पहले हमें उसके स्कूल मे केरोसिन तेल सीआरसी या जो भी अवेलेबल हो डाल दें जिससे उस मेें लगी जंग हल्की पड़ जाए और वह आसानी
 से खुल जाए ध्यान रखें पलसेटर का स्कू दूसरे स्कू की अपेक्षा उलटी दिशा में खुलता है पलसेटर को निकालने के पश्चात टैंक से पानी के आउटगोइंग पाईप को ध्यान से देखें उस पाइप में कहीं कचरा तो नही फसा अगर कचरा  हो तो उसे चिमटे या नोज प्लायर की सहायता से निकाल ले और टॉयलेट क्लीनर की मदद से पलसेटर को पीछे की तरफ से ओर   पाइप को भी साफ कर दें और दो बाल्टी पानी डालकर देख ले की पानी सही निकल रहा है या नहीं ध्यान रखें  कि सफाई करते समय  पीछे से ड्रेन वाल्व ढक्कन खुला   हो   अब हमें पलसेटर को पुनः टाइट करना है और पीछे से ड्रेन वालों को भी वैसे ही लगाना है ध्यान रखें कि   ड्रेन वाल्व के हूक के सही छेद में लगाएं जिसमें वह लगा हो और उसे अच्छी तरह से टाइट कर 
निकालते समय ध्यान रखें कि ड्रेनवाल के जीस छेद में से निकाले उसी छेद मे नायलॉन पट्टी का हुक लगाएं


   मशीन के स्विच को नॉर्मल और ड्रेन मोड पर सेट करें और वॉशिंग मशीन में दो बाल्टी पानी डालकर चेक करें यद्यपि अब आपकी मशीन सही कार्य कर रही होगी 

starter or MCB main difference स्टार्टर ओर एमसीबी में अंतर

                ्््््््््््््््््््््््््््््््््््

MCBऔर स्टार्टर में क्या अन्तर है और दोनों कैसे काम करते हैं

जब हम किसी मोटर को स्टार्ट करते हैं तो उसको स्टार्ट करने के लिए हम मोटर स्टार्टर का उपयोग करते है। 

         आज जानेगे की MCB और स्टार्टर में क्या फर्क होता है MCB ओर स्टार्टर क्या होता है  MCBऔर स्टार्टर कैसे काम करता है।और मोटर में स्टार्टर लगाने के क्या-क्या फायदे हैं मोटर स्टार्टर क्या है


 MCB   की जगह स्टार्टर लगाने की सबसे बड़ी वजह यही है कि MCB का उपयोग करके हम सिस्टम को आटोमेटिक नही कर सकते  है। 

स्टार्टर   ऑटोमेटिक सिस्टम के लिए उपयोग होता है।

MCB एक मैनुअल सिस्टम होता है, मतलब हम  को कही दूर से स्टार्ट नही कर सकते है। MCB ऑन करने के लिए हमे एमसीबी MCB के पास जाना ही पड़ेगा। 


स्टार्टर को हम इलेक्ट्रिकल की सहयता से कही से भी ऑन  कर सकते है। 

 MCB प्रोटेक्शन मतलब सुरक्षा कुछ लिमिट तक होती है, यानी फिक्स होती है।

स्टार्टर  में हम कई तरीके की प्रोटेक्शन लगा सकते हैं। और साथ-साथ स्टार्टर एक बड़ा फायदा यह भी है कि हम इसका उपयोग करके मोटर को हमारे उपयोग के हिसाब से चला सकते है. और हमको मोटर कब और कितने समय के लिए चलानी हे वो सब हम स्टार्टर की मदद से कर सकते है।





 MCB एक सर्किट ब्रेकर (circuit breaker) होता है,  अब  ईस सर्किट ब्रेकर का काम यह होता है, कि कभी भी कोई भी इलेक्ट्रिकल फाल्ट होता है तो सर्किट ब्रेकर अपने आप ट्रिप होकर सप्लाई को रोक देता है। ट्रिप का मतलब कोई प्रॉब्लम यानी फाल्ट होने पर ऑटोमैटिक सप्लाई बंद होना ट्रिप कहलाता है | आप आसान भाषा मे यह भी कह सकते हो की MCB एक बंद चालू करने का स्वीच ही है, पर यह फाल्ट होने पर हमे और उपकरण को सुरक्षा देता है, इसलिये इसे सर्किट ब्रेकर कहते है।



MCB Full Form (पूरा नाम) – Miniature Circuit Breaker (मिनिएचर सर्किट ब्रेकर)

 MCB कब ट्रिप होती है 

MCB कई तरह के आते है, सभी सर्किट ब्रेकर अलग अलग सेफ्टी देते है मतलब सभी अलग अलग फाल्ट पर खुद ट्रिप होकर हमे और हमारे उपकरण को प्रोटेक्शन देते है, क्योंकि इलेक्ट्रीकल सर्किट में कई टाइप के फाल्ट होते है।


ओवरलोड फॉल्ट (Overload Fault)
शार्टसर्किट फॉल्ट (Short Circuit Fault)
 ओवरलोड ओर शॉर्टसर्किट दोनो फॉल्ट में वायर से करंट ज्यादा बहने लगता है, पर हमको एक बात समझना चाहिए की ओवरलोड फाल्ट में करंट की मात्रा थोड़ी बढ़ती है, जबकि शार्ट सर्किट फॉल्ट मे करंट बहुत ही ज्यादा फ्लो करता है, क्योंकि ओवरलोड फाल्ट तब आता है जब लोड बढ़ जाता है, जैसे कोई मोटर में ओवरलोड फाल्ट तब आएगा जब मोटर जाम चल रही हो या हमने मोटर की कैपेसिटी से ज्यादा लोड जोड़ रखा हो।पर शॉर्टसर्किट फाल्ट तब आता है, जब शार्ट सर्किट होता है जैसे- दो फेज वायर आपस में भीड़ गए हो या फेज वायर ओर न्यूट्रल वायर आपस में भीड़ जाए

मोटर स्टार्टर के प्रकार

स्टार्टर को हम हमारी उपयोग के हिसाब से बनाते है इसलिए स्टार्टर कई प्रकार के हो जाते है।

सबसे ज्यादा उपयोग आने वाले स्टार्टर तीन तरह के होते है।

1 D.O.L. Starter (डीओएल स्टार्टर)
2 Reverse Forward Starter (रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर)
3 Star Delta Starter (स्टार डेल्टा स्टार्टर)

D.O.L. Starter (डीओएल स्टार्टर)
DOL मोटर स्टार्टर का पूरा नाम डायरेक्ट ऑनलाइन स्टार्टर होता है, यह सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला स्टार्टर है।

डी.ओ.एल. स्टार्टर वर्किंग- इसकी वर्किंग काफी आसान होती है। इसमे हम एक कॉन्टैक्टर, एक ओवरलोड रिले, ओर स्टार्ट स्टॉप के पुश बटन का उपयोग करके मोटर को स्टार्ट करते है।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर
Reverse Forward Starter यह स्टार्टर भी एक तरह से डीओएल स्टार्टर ही होता है। पर जहा पर हमको मोटर को दो डायरेक्शन(दिशा) मे घुमाने की जरूरत होती है वहाँ पर हम रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर लगाते है।
   रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर वर्किंग- जैसे मैने आपको बताया की यह डीओएल स्टार्टर की तरह ही होता है। बस अंतर यही है की इसमे हम दो कॉन्टैक्टर का उपयोग करते है।
पहला कॉन्टैक्टर मोटर को सीधी दिशा में घुमाने के लिए दूसरा मोटर को उल्टी दिशा में घुमाने के लिए।
यह स्टार्टर भी हम 10HP से कम की मोटर के लिए उपयोग करते है।

Star Delta Starter (स्टार डेल्टा स्टार्टर)
स्टार डेल्टा मोटर स्टार्टर काफी उपयोगी स्टार्टर है। यह हमारी बड़ी मोटर मे उपयोग होने वाला स्टार्टर है। 10 HP से बड़ी मोटर के लिए स्टार डेल्टा स्टार्टर लगाने की राय ही दी जाती है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर वर्किंग- यह स्टार्टर का मुख्य काम हमारी बड़ी मोटर को स्टार्टिंग के समय ज्यादा करंट लेने से रोकना होता है। इस स्टार्टर मे तीन कॉन्टैक्टर लागए जाते है।
1 STAR Contactor
2 Delta Contactor
3 Main Contactor

मोटर स्टार्टिंग के समय पर ज्यादा करंट ना ले, इसके लिए इस स्टार्टर में हम वायरिंग इस प्रकार करते है की पहले हमारे Main Contactor के साथ Star Contactor स्टार्ट हो। जिसका काम मोटर को शुरुवात मे स्टार मे चलना होता है।

इसके कुछ समय के बाद मे हम स्टार कॉन्टैक्टर को हटाकर डेल्टा कॉन्टैक्टर लगा देते हे और मोटर को डेल्टा मे चला दिया जाता है।
स्टार डेल्टा बनाने मे 3 कॉन्टैक्टर, 1 ओवरलोड रिले, 1 टाइमर, ओर स्टार स्टॉप पुश बटन का इस्तेमाल होता है।

ईस प्रकार स्टाटर कि कई खूबीया मोटर को MCB के मूकाबले ज्यादा सूरझा प्रदान करती है
 
हम आप से उम्मीद करते हैं कि आप को दि गई जानकारी आपके दीए उपयोगी रही होगी ऐसी जानकारी प्राप्त करते रहने के दीए हमसे जूडे रहे तथा ये जानकारियां आप अपने दोस्तों को भी सेयर करे सूझाव ओर फिडबेक के लीए दि गई आईडी पर आपका संदेश भेजे

महत्वपूर्ण परिभाषाएं प्रदार्थ, भार,संवेग,गति न्यूटन की गति के नियम important definitions


महत्वपूर्ण परिभाषाएं (important definitions)

1 प्रदार्थ,(Matter):-जब कोई वस्तु स्थान घेरती है और उसका निश्चित भार हो तथा जिसको हमारी इंद्रियो द्वारा महसूस किया जाता हो तो वह वस्तु प्रदार्थ कहलाती है

2 भार(weight):-वह बल जिसके द्वारा कोई वस्तु पृथ्वी के केंद्र की ओर आकर्षित होती है उसका भार कहलाता है किलोग्राम तथा पोंड इसकी इकाईयां हैं।

3 गति(Speed) :- किसी गतिशील वस्तु की गति की दर को गति कहते हैं जिससे वह अपना स्थान बदलती है यह किसी भी दिशा में अपना स्थान बदल सकती है गति की इकाई किलोमीटर प्रति घंटा या मीटर प्रति सेकंड होती है 
                   गति(speed)=
तय की गई दूरी (distance travelled )
दूरी तय करने में लगा समय (time taken to travel the distance)

4 द्रव्यमान (Mass):-किसी वस्तु में विद्यमान पदार्थ की मात्रा ,उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाती है इसे किग्रा में नापा जाता है

5 वेग(Velocity) गती परिवर्तन (displacement)
                                         समय(time)

6  प्रवेग या त्वरण (Acceleration) :- वेग परिवर्तन की दर को प्रवेग या  त्रवरण कहते हैं ।इसकी इकाई मीटर प्रति सेकिण्ड या किलोमीटर प्रति घंटा२ होती है ।इसे a से दर्शाया जाता है
        त्रवरण(Acceleration)=वेग परिवर्तन (Change of velocity)
समय(time)

7  बल(force):-  किसी भी विराम या गतिशील वस्तु की दिशा परिवर्तन के लिए जिस साधन की आवश्यकता होती है उसे बल कहा जाता है इसकी इकाई न्यूटन या किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड२है

बल(F)=द्रव्यमान (Mass)×त्वरण(Acceleration)
                         OrF=m×a


8  सवेग(momentum):-   किसी वस्तु की मांस और वेग के गुणनफल को संवेग (momentum) कहते हैं      संवेग (momentum)= द्रव्यमान(mass) ×वैग(velocity) इसकी इकाई किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड है

9  आघूण (moment):-वह बल है जिसके कारण कोई वस्तु स्थिर बिंदु के फ्रिज गति करती है आघूण ,(moment) कहलाती है
  
आघूण(M)=बल(F)×बल क्यों क्रिया से स्थिर बिंदु दूरी (D)
                     M=F×d

10 न्यूटन के गति के नियम (Newton's law of motion):- न्यूटन के गति के नियम तीन प्रकार के हैं

#  पहला नियम:- प्रत्येक वस्तु (स्थिर या गतिशील )जब तक अपनी अवस्था में बनी रहती है जब तक कोई बाहरी बल, उस अवस्था( स्थिर या गतिशील) को बदलने का प्रयत्न ना करें ,यह न्यूटन गति का पहला नियम है

#  दूसरा नियम :-  किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए बल के अनुपात में होती है तथा वस्तु बल की दिशा में ही गति करती है

# तीसरा नियम :-  न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक कार्य के लिए विपरीत दिशा में समान रूप से प्रतिक्रिया होती है यही न्यूटन का तीसरा नियम है

MCB,MCCB,RCCB,ACB MAIN KYA DIFFERENCE HAI

MCB, MCCB, RCCB, और ACB में क्या अंतर है 



आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की mcb,mccb, acb,और rccb में क्या अंतर होता है, हम जानेंगे की इन सर्किट ब्रेकर के आपस में क्या अंतर है और इनकी क्या खूबियां है और यह किस तरह से काम करती हैं जो इन्हें एक दुसरे से अलग करता है, 

         MCB-  मिनिएचर सर्किट ब्रेकर 

                      

             
 * mcb का फुल फॉर्म तो आप ने उपर देख ही लिया है तो अब बात करते हैं इसके और दुसरे स्पेसिफिकेशन के बारे में 
* mcb की कैपेसिटी 100 एम्पिअर तक की होती है यानी की 100 एम्पिअर से ज्यादा की mcb नहीं आती है 
* mcb के ट्रिप करने की क्रियाविधि को एडजस्ट नहीं कर सकते 
* mcb को 100 एम्पिअर से कम लोड के लिए सबसे अच्छा सर्किट ब्रेकर माना जाता है 
* mcb थर्मल या थर्मल मैग्नेटिक ओपरेसन पे काम करती है 
परिपथ विच्छेदक या 'परिपथ वियोजक' (सर्किट ब्रेकर / 
circuit breaker) स्वतःचालित वैद्युत स्विच है जो दोष (फाल्ट) आदि की दशा में कार्य करता है जिससे दोषी भाग स्वस्थ भाग से अलग कर दिया जाता है और दूसरे उपकरण खराब होने से बच जाते हैं। इसका मूल काम दोषपूर्ण स्थिति की पहचान करके दोषी भाग को जाने वाली विद्युत शक्ति को शीघ्रातिशीघ्र काट देना है। फ्यूज से यह इस मामले में अलग है कि इसे रिसेट करके पुनः विद्युत प्रदाय चालू किया जा सकता है।

परिपथ विच्छेदक भिन्न-भिन्न आकार, क्षमता, एवं प्रकार के होते हैं।

नम्बर: 2. MCCB- मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर 


* MCCB एक हज़ार (1000) एम्पिअर तक की आती है 
* MCCB के ट्रिप करने की क्रिया को एडजस्ट कर सकते हैं 
* MCCB भी mcb की तरह ही थर्मल ता थर्मल मैग्नेटिक ओप्रेसन पे काम करता है 


नंबर : 3. RCCB or RCD- रेसिडूअल करेंट सर्किट ब्रेकर या रेसिडूअल करेंट डिवाइस

* RCCB में फेज और न्यूट्रल दोनों के कनेक्शन किये जाते हैं 
* RCCB तब ट्रिप होती है जब कही पर एअर्थ की फाल्ट होती है 
* RCCB में आउट पुट से जो फेज लाइन निकलती है उसे वापस उसी के न्यूट्रल में आना चाहिए 
* RCCB किसी भी तरह के फाल्ट को तुरंत भाप लेती है और 30 मिली सेकंड के अन्दर ही ट्रिप हो जाती है 
अवशिष्ट धारा युक्ति (residual-current device (RCD)) वैद्युत सुरक्षा से सम्बन्धित युक्ति है जो परिपथ को उस समय काट देती है जब इसको पता चलता है कि इसमें से होकर जाने वाले सभी चालक तारों की कुल धारा लगभग शून्य नहीं है। इसको अवशिष्ट-धारा परिपथ विच्छेदक (residual-current circuit breaker (RCCB) भी कहते हैं।

प्रायः स्वस्थ अवस्था में किसी परिपथ में जाने वाली धारा और वापस आने वाली धारा लगभग बराबर होती हैं। किन्तु कहीं कोई दोष (fault) होने या किसी मानव द्वारा किसी तार को छू देने पर यह दशा नहीं रह पाती, जिसे यह युक्ति पहचान कर परिपथ को तोड़ देती है।

अवशिष्ट धारा युक्तियाँ इस प्रकार डिजाइन की जाती हैं कि वे शीघ्रातिशीघ्र परिपथ को तोड़ दें ताकि किसी को वैद्युत धक्का (शॉक) लगने की दशा में इतनी जल्दी परिपथ विच्छेदित हो जाय कि सम्बन्धित व्यकि को कम से कम चोट आए। ये युक्तियाँ अति-धारा (ओवर-करेंट) अथवा शॉर्ट-सर्किट के विरुद्ध काम करने के लिए नहीं बनी होतीं।

नंबर: 4. ACB एयर सर्किट ब्रेकर                                
* ACB दस हज़ार(10000) एम्पिअर तक की आती है 
* ACB के ट्रिप करने की क्रिया को पूरी तरह से एडजस्ट कर सकते हैं और साथ ही साथ ही साथ इसके ट्रिपिंग कि सीमा और इनमे लगे रिले को भी कॉन्फ़िगर कर सकते हैं 
* ACB आम तौर पर ये इलेक्ट्रानिकली कंट्रोल्ड होती है और कुछ मोडल माइक्रो प्रोसेसर कंट्रोल्ड भी होती है 
* ACB का इस्तमाल बड़े बड़े इंडस्ट्रीयल प्लांट में मेन पॉवर को डिस्ट्रीब्युट करने के लिए किया जाता है 

परिपथ विच्छेदक या 'परिपथ वियोजक' (सर्किट ब्रेकर / circuit breaker) स्वतःचालित वैद्युत स्विच है जो दोष (फाल्ट) आदि की दशा में कार्य करता है जिससे दोषी भाग स्वस्थ भाग से अलग कर दिया जाता है और दूसरे उपकरण खराब होने से बच जाते हैं। इसका मूल काम दोषपूर्ण स्थिति की पहचान करके दोषी भाग को जाने वाली विद्युत शक्ति को शीघ्रातिशीघ्र काट देना है। फ्यूज से यह इस मामले में अलग है कि इसे रिसेट करके पुनः विद्युत प्रदाय चालू किया जा सकता है।

परिपथ विच्छेदक भिन्न-भिन्न आकार, क्षमता, एवं प्रकार के होते हैं।

प्रकार संपादित करें
परिपथ विच्छेदकों के वर्गीकरण के कई आधार हो सकते हैं-जैसे उनकी वोल्टता श्रेणी, संरचना का प्रकार, विच्छेद करने की विधि आदि।

# अल्प वोल्टता परिपथ विच्छेदक (1000 वोल्ट एसी से कम वोल्टता पर काम करने वाले)
मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (एमसीबी)
मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर (एमसीसीबी)
अल्प वोल्टता शक्ति परिपथ विच्छेदक
# चुम्बकीय परिपथ विच्छेदक - इनमें परिपथ को विच्छेदित करने वाला बल चुम्बकीय बल होता है जो धारा के ताक्ष्णिक मान पर निर्भर करता है।
#  ऊष्मीय परिपथ विच्छेदक - प्रायः ये वितरण बोर्डों में लगाये जाते हैं। उष्मीय के साथ विद्युत-चुम्बकीय बल का भी इसमें प्रयोग किया जाता है। ऊष्मीय परिपथ विच्छेदक की वैशिष्ट्य 'व्युत्क्रम-समय' (इन्वर्स टाइम) होती है, अर्थात् कम धारा बहने पर अधिक समय में और अधिक धारा बहने पर कम से में काम करते हैं।
# सर्वनिष्ट ट्रिप विच्छेदक Common trip breakers - इनकी विशेषता यह होती है कि सभी पोल एक साथ ब्रेक होते हैं, चाहे अति-धार केवल एक ही तार में क्यों न हो।
# मध्यम वोल्टता परिपथ विच्छेदक (Medium-voltage circuit breakers) - 1 किलोवोल्ट से 72 किलोवोल्ट तक
निर्वात परिपथ विच्छेदक
वायु परिपथ विच्छेदक
SF6 परिपथ विच्छेदक
#  उच्च वोल्टता परिपथ विच्छेदक (High-voltage circuit breakers) - 72 किलोवोल्ट से अधिक वोल्टता पर काम करने वाले
बल्क आयल (Bulk oil)
अल्पतम तैल (Minimum oil)
वायु झोंका (Air blast)
निर्वात (Vacuum)
SF6
CO2 परिपथ विच्छेदक
# सल्फल हेक्साफ्लोराइड परिपथ विच्छेदक (Sulfur hexafluoride (SF6) high-voltage circuit-breakers)
# डिसकनेक्टिंग परिपथ विच्छेदक (Disconnecting circuit breaker (DCB)) - ये 2000 में अस्तित्व में आये।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

wiring ke liye jaruri sujhav घर की वायरिंग के लिए जरूरी सुझाव


हेलो दोस्तो में हूं आपका दोस्त में आज आपको घरेलू वायरीग में काम आने वाली छोटी छोटी मगर जरूरी बातें बताने जा राहा हू
      जीससे आप अपने घर,ओफिस या दुकान कि वायरीग करवाते समय कई अनचाही परेशानियों से बच सकते हैं आज के समय में लगभग सभी घरों में इलेक्ट्रिक उपकरणों के इस्तेमाल काफी मात्रा में किए जाते है जैसे टीवी ,फ्रिज ,वाशिंग मशीन ,कूलर ,एसी ओवन, सीलिंग फैन ,ट्यूब लाइट, एलईडी बल्ब ,टेबल लैंप ,आटा पीसने की चक्की ,पानी का पंप, गीजर चार्जिंग के लिए पॉइंट आदि इन उपकरणों को power supply देने के लिए आपने भी बिजली का कनेक्शन जरूर ले रखा होगा। यदि आपने भी अपने घर में बिजली कनेक्शन लिया होगा तो आपने अपने घर की वायरिंग जरूर करवाई होगी। यदि आपने अभी तक अपने घर की वायरिंग नहीं करवाई है तो हो सकता है कि आप इसके लिए सोच रहे होंगे।


 
          घर की वायरिंग कैसे करें ?वायरिंग के बारे में बताने से पहले इस पोस्ट में आज हम आपको घर की वायरिंग आज हम घर में होने वाली वायरिंग में कुछ ऐसी छोटी-छोटी कमियों के बारे में बताने जा रहे हैं  जो अधिकांश लोग करते हैं। आज हम आपको वायरिंग करते समय ध्यान रखने वाली सामान्य बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे ध्यान में रखकर आप अपने घर ,दूकान या ओफिस कि वायरिंग को ज्यादा बेहतर और सुरक्षित बना सकते हैं

सर्वप्रथम किसी अच्छे इंजीनियर से नक्शा बनवाएं
जब आप यह निश्चय कर ले कि आप घर या ऑफिस बनवाना हो तो आपको कौन सी जगह कौन सा चाहिए गा जैसे आपके घर में दो कमरे हैं तो घर के कौन से कमरे में एसी का पॉइंट रहेगा कौन सी जगह पर रहेगा कौन सी जगह पर फ्रिज का पॉइंट रहेगा कौन सी जगह पर चक्की का पॉइंट रहेगाआप जब भी हाउस वायरिंग शुरू करें तो इसे शुरू करने से पहले इस बात का अच्छी तरह से फैसला कर लें कि आपके घर में किस जगह पर कौन-से मटेरियल का इस्तेमाल करना आसान और ज्यादा सुरक्षित होगा। मान लीजिये कि आपका एक ही रूम है और वो छोटा है तो आप अपने घर के गेट पर स्विच बोर्ड ही तो को फिट नहीं कर देंगे न?
 
इसलिए वायरिंग करवाते समय पहले ही ये निश्चित कर लें कि कहाँ पर बिजली मीटर लगवाना है, कहाँ पर बोर्ड फिटिंग किया जाना है और बोर्ड में कौन-कौन से मेटेरियल कितनी संख्या में लगाना है? दूसरी बात ये कि वायर को एक जगह से दूसरे जगह तक बिछाने के लिए किस रूट का उपयोग करें? मतलब कि कहाँ से और किस तरह से तार को बिछाएं ताकि कम-से-कम तार की खपत भी हो और वायरिंग भी देखने में अच्छा लगे।

इसी तरह से इस बात का भी फैसला करें कि घर में किस जगह पर बोर्ड को फिट किया जाये ताकि आपको सहूलियत हो। स्विच बोर्ड को आप घर में ऐसी जगह पर लगायें जहाँ पर आपातकालीन स्थिति में आप तुरंत पहुच सकें। यहाँ नक्शा बनाने का तात्पर्य ये है कि आप अपने मन में अच्छी तरह से वायरिंग का नक्शा बना लें तथा उसे किसी पेपर पर सूचीबद्ध कर ले ताकि बाद में आपको ज्यादा परेशान न होना पड़े। या आपसे  जल्दबाजी में कुछ छूट न जाए
 

 

वायरिंग जॉइंट को कवर करने के लिए टेप का अच्छा इस्तेमाल करें
         वायरीग करते समय ध्यान रखा जाए कि जितना जॉइंट को कम से कम रखें उतना बढ़िया है वायरिंग के दौरान यदि एक बंडल का wire बीच में ही ख़त्म हो जाता है या फिर किसी भी कारणवश जब वायर के बीच में आपस में जोड़ना होता है तब तार को छीलकर उसे आपस में लपेट दिया जाता है और फिर उसके बाद उस तार के ऊपर टेप को अच्छे से लपेट दिया जाता है। लेकिन बहुत सारे लोग tape का सही से इस्तेमाल करना नहीं जानते हैं और गलत तरीके से उसका इस्तेमाल कर देते हैं।बहुत सारे लोग wire को आपस में लपेटने के समय ही ढीलापन छोड़ देते हैं जिस वजह से वहां से दोनों तारों के बीच का जॉइंट गर्म होने लगता है इस वजह से कभी-कभी आग लगने की भी स्थिति बन जाती है। इसलिए पूरी कोशिश करें कि वायरिंग में टेप का इस्तेमाल कम-से-कम करना पड़े और जहाँ भी उसका इस्तेमाल हो तो बहुत ही मजबूती से हो और किसी भी तरह का कोई ढीलापन न हो।पीवीसी टेप भी उच्च क्वालिटी का इस्तेमाल करें

वायरिंग करवाते समय MCBका प्रयोग जरूर करें
अकसर हमारे साथ आपातकालीन घटना घटते रहते हैं। पता नहीं कब क्या हो जाए, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे कई मौके आते हैं जब wiring की कमजोरी या फिर हमारे ही छोटी सी गलतियों के वजह से हमें बिजली के झटके लग सकते हैं और हम प्रवाहित बिजली में चिपके रह सकते हैं। तो ऐसे आपातकालीन स्थितियों के लिए आप पहले से ही अपने घर के हरेक कमरे की wiring में एक ऑटोमेटिक सर्किट ब्रेकर जरूर लगवा लें।

इससे आपको फायदा ये होगा कि जब भी कभी ऐसे आपातकालीन समय आयेंगे तब ये ब्रेकर ज्यादा current प्रवाहित होने के वजह से खुद ही स्टार्ट हो जायेंगे और फिर वायरिंग का circuit ब्रेक हो जायेगा जिससे कि करंट का प्रवाहित होना रूक जायेगा और और घर की वायरिंग और मशीनरी को कम नुकसान होगा 

घटिया क्वालिटी के सामानों से बचें उच्च क्वालिटी मटेरियल का उपयोग करना

इलेक्ट्रिकल वायरिंग बार-बार नहीं किये जाते हैं। इसलिए जब भी वायरिंग करें तो वो ऐसा होना चाहिए कि future में उससे आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न आये। हालांकि, वायरिंग में प्रयोग होने वाले सारे materials बहुत ही महंगे होते हैं और 2 छोटे से घर की वायरिंग करवाने में भी हजारों रूपये खर्च हो सकते हैं। इसलिए अधिकांश लोग थोड़े से रूपये बचाने के चक्कर में सस्ता सामान  खरीद लेते हैं जो कि समय से पहले ही खराब होने लगते हैं। या शॉर्ट सर्किट होने लगता है

सस्ते सामानों में अक्सर टूट-फूट की समस्या आ जाती है जिस वजह से घर का wiring असुरक्षित हो जाती है और इसमें बाहरी नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जब भी वायरिंग करवाएं तो इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि उसमें इस्तेमाल किये जाने वाले सभी सामान किसी उच्च क्वालिटी अच्छी कंपनी के हों और मजबूत हों। हमारे यहाँ आमतौर पर Anchor और Havells के मटेरियल के उपयोग किये जाते हैं जो कि बेहद ही मजबूत और टिकाऊ माने जाते हैं और इनकी Life भी बेहतर होते हैं।


घटिया व सस्ता वायर का इस्तेमाल करना
हमारे घरों की Wiring में चारों तरफ से जमकर पैसे खर्च हो जाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा खर्च wiring के लिए wires पर ही हो जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बाकी सभी components तो कहीं-कहीं पर ही इस्तेमाल होते हैं लेकिन wire के इस्तेमाल सभी जगह पर किये जाते हैं। साथ ही wire में महंगे धातु के इस्तेमाल भी किये जाते हैं जिस वजह से ये महंगे होते हैं। कहने का तात्पर्य ये है कि आपका घर जितना बड़ा होगा और आप जितने ज्यादा दूरी में कोई उपकरण इस्तेमाल करेंगे उतने ही ज्यादा लम्बाई के वायर की आपको जरूरत पड़ेगी।

दूसरी वजह ये है कि इतने लम्बे पूरे वायर में Copper (कॉपर) जैसी महंगी धातु के इस्तेमाल किये जाते हैं जिस वजह से ये बहुत ही महंगे हो जाते हैं और प्रति मीटर अच्छे क्वालिटी के copper के वायर की कीमत करीब 20 रूपये से भी ज्यादा पड़ जाते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पैसे बचाने के लिए कोई भी घटिया क्वालिटी के तार का इस्तेमाल wiring में कर दिया जाए। यदि पहली बार में आप गलत वायर से वायरिंग करते हैं तो बाद में कोई भी दिक्कत आने पर लम्बा-चौड़ा खर्च लग सकता है। इसलिए पहली बार में ही अच्छे तार से wiring करें ताकि आगे चलकर उससे आपको कोई परेशानी न आये।



हमेशा वायरिंग में कॉपर वायर ही काम में ले
जब भी आप wiring करें तो सिर्फ-और-सिर्फ copper यानि कि ताम्बे के तार का ही इस्तेमाल करें। हालांकि ये एल्युमीनियम के तार की अपेक्षा 2-3 गुना तक महंगा हो सकता है लेकिन यकीन मानिए ये आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। एल्युमीनियम के तार कॉपर के अपेक्षा कमजोर और ज्यादा लचीला होता है और 3-4 बार गाँठ पड़ने से टूट भी जाता है लेकिन कॉपर का तार इतना कमजोर नहीं होता है।

ज्यादा समय हो जाने के बाद aluminium के वायर के छोर पर गंदगी जमा हो जाते हैं जिस वजह से वो सही से काम करना बंद कर देता है। लेकिन वहीँ यदि बात करें कॉपर के wire की तो इसमें ऐसा कोई बात नहीं है। कॉपर के तार बहुत लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं और हमेशा ही सही से काम करते हैं।


 



Wiring में भू-तार का connection  करवाना चाहिए
बहुत सारे उपकरण ऐसे होते हैं जिसके अंदर कोई दिक्कत होने पर उनकी बॉडी में करंट आने लगता है जैसे कूलर फ्रिज वॉशिंग मशीन गीजर इसी करंट के झटके से बचने के लिए भूतार का इस्तेमाल किया जाता है  भूत आज के लिए कनेक्शन जरूर करवाना चाहिए तथा अर्थिंग पित का निर्माण अपने सामने करवाना चाहिए 

बिजली बोर्ड में एक ही 5-pin या 2-pin socket लगवाना

 
पहले हमारे इलेक्ट्रिक जरूरत बहुत ही कम हुआ करते थे। लेकिन अब हमारे जरूरत असीमित हो गए हैं। हमलोग टीवी तो रूम में देखते ही हैं लेकिन साथ-ही-साथ इससे भी ज्यादा उपकरणों का इस्तेमाल एक साथ करते हैं। तो ऐसे में यदि आपके बिजली बोर्ड में इन सभी के plug को लगाने के लिए उचित संख्या में सॉकेट न हों तो इसके लिए आपको अलग से एक एक्सटेंशन बोर्ड खरीदना पड़ सकता है।

लेकिन आपके बिजली बोर्ड में इतने जगह खाली रहते हैं कि आप उसी में 3-4 सॉकेट और लगवा सकते हैं और ये एक्सटेंशन बोर्ड से भी ज्यादा अच्छा विकल्प होगा। इसलिए वायरिंग कराते समय ही इन छोटे-मोटे बातों का ध्यान जरूर रखें ताकि बाद में ज्यादा खर्चे से बच सकें। वायरिंग करवाते समय ही अपने इलेक्ट्रिक बोर्ड में एक से ज्यादा सॉकेट लगवा लें।

पंखे के लिए स्विच के साथ में रेगुलेटर भी लगवाए

गर्मी के सीजन में आप अपने घर में electric fan का इस्तेमाल हवा पाने के लिए जरूर करते होंगे। लेकिन बहुत बार ऐसा देखा गया है कि हमारे घर में इतने ज्यादा voltage होते हैं कि पंखा चले रहने पर हमें ठंडक महसूस होने लगती है। लेकिन यदि पंखा न चलाया जाये तो हमें गर्मी भी महसूस होती है। तो ऐसे स्थिति में न तो पंखा को बंद किया जा सकता है और न ही उतने हाई वोल्टेज पर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस समस्या से निपटने के लिए हमें एक electronic fan regulator की जरूरत पड़ती है। इस रेगुलेटर को बिजली के बोर्ड में लगाया जाता है और इसकी खासियत ये होती है कि इसकी मदद से हमारे घर के वोल्टेज पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि इसका इस्तेमाल बल्ब इत्यादि में भी किया जा सकता है लेकिन चूंकि इसे पंखे के लिए बनाया जाता है इसलिए इसका इस्तेमाल सिर्फ पंखे में ही करना चाहिए।

ज्यादातर लोग हाउस वायरिंग करवाते समय रेगुलेटर लगवाना जरूरी नहीं समझते हैं और वो इसे फालतू का समझते हैं। लेकिन ये बात बिल्कुल ही गलत है। बोर्ड में रेगुलेटर लगाना उतना ही जरूरी है जितना जरूरी घर में पंखा लगाना है। इसलिए जब आप अपने घर की वायरिंग करवाएं तो अपने सभी रूम के इलेक्ट्रिकल बोर्ड में रेगुलेटर जरूर लगवाएं। लेकिन एक बात का ख़ास ध्यान रहे कि रेगुलेटर की सहायता से सिर्फ वोल्टेज को कम किया जा सकता है, उसे बढाया नहीं जा सकता है।


            मेन एलडीबी बॉक्स
घर में वायरिंग का सबसे जरूरी पाट MCB BOX (LDB)होता है यह वही स्थान है जिससे मीटर से आई हुई केबल (MAIN POWER CABLE)और घर में सारे (OUTGOING CABLES)आउटगोइंग वायर वायर वहीं से जाते हैं MCB BOX में से हर वायर अपना एक पॉइंट निश्चित होता है और वह लोड के हिसाब से वायर डाला जाता है जैसे लाइटिंग पॉइंट के लिए 2.5 MMका वायर इस्तेमाल में किया जाता है पावर पॉइंट के लिए 4 MMका वायर इस्तेमाल किया जाता है और एसी ,आटा पीसने की चक्की और पानी के टुल्लू पंप के लिए 6 MMका वायर इस्तेमाल में लिया जाता है
.
    ELCB(EARTH LEAKAGE CIRCUIT BREAKER)
 आजकल शहरी क्षेत्रों में ELCB का प्रयोग काफी बड़ा है ईएलसीबी का प्रयोग प्रमुख हमारी सुरक्षा के लिए ही किया जाता है ईएलसीबी के प्रयोग से अगर किसी वस्तु में CURRENTलीकेज होता है तो वह ELCB को स्वतह बंद कर देता है तथा व्यक्ति को नुकसान नहीं होता या दुर्घटना होने से बच जाता है